Five Poem For Indian in hindi

यादव रत्न की तरफ से स्वतन्त्रता दिवस कि आप सभी को दिल से शुभकामनाये..

यहाँ मैने पाँच कविता पोस्ट किया हुँ.. पढ़े और अपने दोस्तो के साथ भी जरुर सेयर करे.. 


देशभक्ति कविता - देश के युवा के लिये

अगर आजादी को बचाना चाहते हो, तो देश के लिए लहू बहाना होगा
जो देश की खातिर जीते-मरते हैं, उनके आगे अपना शीश झुकाना होगा
जो चाहते हो, जय हिन्द का नारा बुलंद रहे, तो तुम्हें सुभाष बन जाना होगा.
अगर अकबर को उसकी औकात दिखानी है, तो खुद को प्रताप बनाना होगा.
मुगलों से लोहा लेना है, तो शिवाजी बनकर आना होगा
गौरी को मौत की नींद सुलानी है, तो पृथ्वीराज सा बाण चलाना होगा
अगर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने हो, तो लक्ष्मीबाई बन जाना होगा.
कभी मंगल, कभी भगत, तो कभी आजाद बनकर धरती में आना होगा.

जाति धर्म देखे बिना, देशद्रोहियों को अपने हाथों से मिटाना होगा
नई पीढ़ी को अभिमन्यु सा, गर्भ में देशभक्ति का पाठ पढ़ाना होगा
तुम्हें व्यक्तिवाद छोड़कर राष्ट्रवाद अपनाना होगा.
हर व्यक्ति में भारतीय होने का स्वाभिमान जगाना होगा.
लोकतंत्र को स्त्तालोलुपों से मुक्त कराना होगा
देशभक्ति को भारत का सबसे बड़ा धर्म बनाना होगा
वीरता की परम्परा को आगे बढ़ाना होगा.
हर भारतीय को देश के लिए जीना सिखाना होगा..

देशभक्ति कविता -  (ए.पी.जी अब्दुल कलाम)

भारत माता की शान हूँ मैं, ए पी जे अब्दुल कलाम हूँ मैं
जो वन्देमातरम कहकर, गर्व से फूल जाए वो मुसलमान हूँ मैं
मैंने देखा था अजब नजारा, जब मैं मौत की नींद में सोया था…..
तब हिंदु या मुसलमान नहीं, पूरा हिन्दुस्तान रोया था……………..
जो कर सकता था, वो सब कुछ किया मैंने अपने देश के लिए
अपने जीवन का एक-एक पल जीया अपने देश के लिए
अब मेरे हिन्दुस्तान को संवारो और सम्भालो तुम…….
देश के दुश्मनों से मेरे देश को बचा लो तुम……………….

मेरे भारत को फिर विश्व गुरु बनाना है तुम्हें
भारत को फिर दुनिया का सिरमौर बनाना है तुम्हें
जो सपने मैंने अपने भारत के लिए देखे हैं………….
उन सपनों को सच कर दिखाना है तुम्हें………………
याद रखो, जो देशभक्त हो वही हिंदु या मुसलमान होता है
जो गद्दार हो, वो तो बस गद्दार होता है… इस धरती पर भार होता है
हर गली-मुहल्ले में देशभक्ति की अलख जगा दो तुम…..
हर देशभक्त को अब्दुल कलाम बना दो तुम…………

देशभक्ति कविता - माता-पिताओ के लिये

आजादी के छह दशक बीते, पर अब तक सूरज उगा नहीं
कहने को हम आजाद हो गए, पर पूर्ण स्वराज मिला नहीं
लक्ष्मीबाई की धरती में, माँ-बेटियाँ अब भी सुरक्षित नहीं
ऋषियों की इस तपोभूमि में, हर कोई अब भी शिक्षित नहीं
शास्त्री-सुभाष की मृत्यु का सत्य देश से छुपाया गया है
और मुगलों का इतिहास, बच्चों को रटाया गया है
हिन्दुओं को जाति, भाषा और रोटी के नाम पर लड़ाया जा रहा है
और अहिंसा के नाम पर जनता को कायर बनाया जा रहा है
सैनिक देश की आजादी बचा रहे हैं, और अहिंसा का गुण गाया जा रहा है
अर्धसत्य बेचा जा रहा है, और लोगों से सच को छुपाया जा रहा है
देश के कर्णधार खो गए हैं कहीं, जागने से पहले सो गए हैं कहीं
क्रांति की मशाल बुझ गई है, और अब तारणहार कोई भी नहीं
क्रांतिकारियों को भुला दिया गया है, एक व्यक्ति को आजादी का जनक बना दिया गया है
लाखों परिवारों के त्याग को भुला दिया गया है, एक परिवार को सबसे बड़ा बना दिया गया है
हिंदुत्व की जन्मभूमि में हिंदु धर्म को साम्प्रदायिक बताया जा रहा है
धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को धर्म विमुख बनाया जा रहा है
यही सही वक्त है देशभक्तों के जगने का
देश के लिए इसके बेटों के जीने-मरने का
यही सही वक्त है, सोए देश को नींद से जगाने का
यही सही वक्त है, आजादी को सच्चे अर्थों में पाने का
यही सही वक्त है, विश्व गुरु बन जाने का
यही सही वक्त है, दुनिया को फिर से राह दिखाने का
यही सही वक्त है, एक साधारण मानव से कर्मवीर बनने जाने का
यही सही वक्त है, क्रांति की मशाल को फिर से जलाने का
यही सही वक्त है अपने बच्चो को देश भक्ती के पाठ पढ़ाने का..

देशभक्ति कविता - झाँसी वाली रानी

तुम भूल गए शायद मुझको, मैं झाँसी वाली रानी हूँ
जो नपुंसकों पर भारी थी, मैं वो मर्दानी हूँ
लुटती अस्मत, लगती कीमत… ये नारी की कैसी किस्मत ?
आजाद देश के वीरों से कुछ प्रश्न पूछने आई हूँ…………
तब आजादी की बीज बनी, अब तुम्हें जगाने आई हूँ
आजाद देश में नारी गुलाम… ये किसने रीत चलाई है……………..
क्या तुमने अब भी गद्दारों की चिता नहीं जलाई है ?
भारत की हर एक स्त्री को फिर “मनु” आज बना दो तुम
सभी स्त्रियों के स्वाभिमान को फिर से आज जगा दो तुम………………..

शस्त्र-शास्त्र से सुसज्जित कर दो, हर-एक घर-आँगन को
निडर और निर्भय कर दो, हर-एक वन-उपवन को
बच्चों के खेल-खिलौनों में शामिल कर दो… झाँसी की तलवार को
बच्चों के नस-नस में भर दो, निडरता और स्वाभिमान को
किताबों से बाहर निकालो मुझे और……….
लिखने दो शौर्य गाथाएँ अपने घर-आँगन में
ताकि तुम गर्व से कह सको कि मैं तेरी मनु / छबिली हूँ…………..
अब ढूँढो मुझको अपने घर-आंगन में, मैं लक्ष्मीबाई अलबेली हूँ.

देशभक्ति कविता - भ्रष्टाचार पर कविता

भगवान हमें तभी याद आते हैं…. जब कोई मन्नत मांगनी हो
रोज पूजा तो हम….. Cricketers और Film Stars की हीं करते हैं
चढ़ावे मन्दिरों में कम….. अफसरों और नेताओं को ज्यादा चढ़ाते हैं
भैया दहेज देना तो पाप है….. लेकिन दहेज लेना हीं सबसे बड़ा पुण्य है
आतंकवादियों के मानवाधिकारों की चिंता रहती है हमें…………
लेकिन सैनिकों के भी मानवाधिकार होते हैं…… ये अक्सर भूल जाते हैं हम
भैया शादी तो हम दूसरे धर्म वाले से कर सकते हैं………
लेकिन वन्देमातरम बोलने से पहले…. धर्म की आड़ में छिप जाते हैं हम

खुद को देशभक्त कहने में शर्माते हैं हम…. लेकिन खुद को Secular कहकर घमंड से फूल जाते हैं हम
WhatsApp और Facebook पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं हम
जब कुछ करने की आती है बारी……. तो भीड़ में गुम हो जाते हैं हम
व्यक्ति पूजा बड़ी शान से करते हैं हम…… राष्ट्र पूजा को साम्प्रदायिक बताते हैं हम
जन्तर-मन्तर पर दामिनी को न्याय दिलाने के लिए आन्दोलन करते हैं हम
लेकिन बहन-बेटियों को कराटे की शिक्षा देने के बारे में कभी सोच नहीं पाते हैं हम
योग को साम्प्रदायिक बताते हैं हम…… लेकिन भोग को Secular हीं पाते हैं हम
Status और पैसों को हमेशा…… ईमान पर भारी पाते हैं हम
तभी तो……..ऐसे वैसे नहीं Pure भ्रष्टाचारी हैं हम !

समाप्त

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